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Sunday 17 November 2013

कैसी आग


मशीनगनों, राइफलों व बम–बारूदों से
निरंतर छलनी–छलनी कर
बेगुनाह जिंदगियों को
उतार दिया जाता है मौत के घाट।
हर लाश पर
‘राजद्रोह की कीमत मौत’ की
चमकती मुहरें दी जाती है दाग।

गिद्ध–कौओं–सियारों
मरघट के कुत्तों में भी
नहीं हिम्मत कि
इर्द–गिर्द मँडरा जाये।

हर लाश एक भूगोल है
हर लाश है कहानी हैवानियत की
काँपती हुई हवा–दिशाएँ
दे रही है चेतावनी –
कि डरो और संभलो
हर तानाशाह एक महान युगपुरूष होता है।


२४ दिसंबर २००३ को www.anubhuti-hindi.org पर प्रकाशित ।

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