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Monday 30 December 2013

नववर्ष अभिनंदन


भेजा ई-मेल
पूछा ओस्लो और अलास्का से
कैसा है नव वर्ष
कैसा रहा गत वर्ष
बोला बेहतर है
पूछो एस्किमो से
ध्रुवप्रदेश में छूट रहा था
रंगबिरंग अग्नि प्रदर्श
हिमखंड टूट कर बिखर रहा था
मंगल ग्रह से पूछा
तो वह चिहुँक उठा
देखो तेरे घर से आया
कौन है उतरा मेरे प्रांगण
आकाश गंगा और
ब्रह्मांड के सूर्येत्तर महासूर्य से
रेडियो भाव में पूछा'
तो रेडियो तरंग को शून्य पर
टिका हुआ ही पाया
होनोलुलू और होकाइडो के
मछुआरों को
चंद्रज्योत्स्नास्नात जलगात पर
मोटर ट्राली कसते पाया
भूकंपघात से त्रस्त निपात
'बम' शहर को थोड़ा सहलाया
पाया खुले आकाश के नीचे
आँसू व सिहरन भी ठहर गई है
गुलमर्ग खिलनमर्ग में
हिम क्रीड़ा यौवन खिलखिलाकर
मेरी ओर हिमकंदुक उछाल कर बोली
'सारे जहाँ से अच्छा
हिंदोस्तां हमारा'
मैं रम्यकपर्दिनि शैलसुता
हिम क्रीड़ा में
किस के साथ है मेरी तुलना समता
उत्तर अभिमुख अयन अंश पर
पूरे भूमंडल को
सर्द ठिठरन में ठिठका पाया
तब भी दिनमान का
स्वर्ण हिमपाखी
सत्वर उड़ता जाता
आओ हम सब
धरती को स्वर्ग बनाएँ
ओजोन परत में
कुछ रफू कराएँ
व्यापार विस्तार महत्वाकांक्षा तज
आतंकमुक्त चंद्र मंगल की ओर
धीरे-धीरे कदम बढ़ाएँ
हर दिन नव वर्ष के
प्रेम मंगल गीत हम गाएँ |


विनोद कुमार

जनवरी २००४ को www.anubhuti-hindi.org पर प्रकाशित ।