उनींदी में
बिस्तर पर
मैं लेटा था।
आया वह चुपके से
लगा कभी भरत व्यास
कभी ए . आर . रहमान
कभी लता–पौड़वाल के
मधुर गीत संगीत सुनाने।
मन ही मन मैं बोला –
भाग अभी
मुझको सो लेने दे।
क्यों मानता,
नहीं आया
अपनी चाल से वह बाज
लगाया सोये सोये ही
कस के दो थप्पड़
था बड़ा अक्खड़
पड़ गया था मेरे पच्चड़
मर गया बेचारा मच्छड़।
- बिनोद कुमार
No comments:
Post a Comment